दोस्तों हमारा भारत देश बड़ा अनोखा है। यहां रोज ही बड़ी रोचक कहानियां सामने आती रहती है। इनमें कुछ कहानियां सालों के कठिन परिश्रम की मेहनत का फल होती हैं, तो कुछ कहानियां बस एक रात में पलटी किस्मत का अंजाम होती है। चाहे बात जो भी हो पर ये सभी कहानियां बड़ी अच्छी होती है और दिल को सुकून देती है। इन सभी कहानियों को देखने और सुनने के बाद एक आम आदमी के दिल में ये उम्मीद जरूर जग जाती है कि शायद एक दिन उसके साथ भी ऐसी ही कोई एक घटना घट जाए और उसे उसके सालों के कठिन परिश्रम का फल मिल जाए।
या फिर उसके साथ ही कोई किस्मत बदल देने वाली चीज हो जाए और वो भी रातों रात करोड़पति बन जाए। और आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही जिसे सुन लेने के बाद शायद आपके दिल में भी उम्मेद जग जाए कि सालों से आप जो मेहनत कर रहे हैं उसका फल आपको एक ना एक दिन जरूर ही मिल जाएगा और अंत में आप भी एक सुखी जीवन जी पाएंगे और आपकी भी सारी तकलीफ दूर हो जाएगी और सबसे बड़ी बात, अगर आपको कोई पैसे की दिक्कत होगी तो वो भी खत्म हो जाएगी। तो आइए जानते हैं क्या है ये कहानी।
आज बात हो रही है प्रसिद्ध ओबेरॉय समूह के संस्थापक राय बहादुर मोहन सिंह जी के बारे में जिनका जन्म चकवाल में हुआ था और रावलपिंडी पाकिस्तान में पले-बढ़े। ये घर से केवल 25 रुपए ले कर निकले थे और इन्होंने उन्ही पैसों से 7000 करोड़ की कंपनी बना दी।